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16 अक्टूबर विश्व खाद्य दिवस 2025 | इस्लाम का भोजन और मानवता पर संदेश

हर साल 16 अक्टूबर विश्व खाद्य दिवस ​​के रूप में मनाया जाता है। इस दिन दुनिया भर में भूख, भोजन की बर्बादी और खाद्य सुरक्षा पर चर्चा होती है लेकिन आज भी दुनिया में लाखों लोग भूखे पेट सोते हैं, जबकि कुछ लोग खाना फेंक देते हैं।


World Food Day


ऐसे समय में, सवाल उठता है - भोजन का उचित उपयोग और वितरण कैसे किया जाए? इस सवाल का खूबसूरत जवाब इस्लाम की शिक्षाओं में मिलता है।


भोजन - अल्लाह (ईश्वर) का एक वरदान

इस्लाम की नज़र में, भोजन केवल पेट भरने के लिए नहीं है, यह अल्लाह (ईश्वर) का एक उपहार है। क़ुरान में, अल्लाह (ईश्वर) फ़रमाता है:

"खाओ, लेकिन बर्बादी से बर्बाद मत करो; अल्लाह (ईश्वर) बर्बादी करने वालों को पसंद नहीं करता।"

(क़ुरान 7:31)

यह आयत आज के "भोजन की बर्बादी न करें" अभियान का सारांश है। इस्लाम ने 1400 साल पहले यही सिखाया था खाना बर्बाद करना कृतघ्नता है


भोजन के संबंध में पैगंबर मुहम्मद (स.) के आदर्श

पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) स्वयं भोजन के प्रति बहुत संवेदनशील थे। उन्होंने कहा:

“वह व्यक्ति सच्चा मुसलमान नहीं है जिसका पेट भरा हो और उसका पड़ोसी भूखा हो।”

(हदीस – सहीह अल-बुखारी, हदीस संख्या 6016)

यह शिक्षा केवल मुसलमानों के लिए ही नहीं, बल्कि समस्त मानव जाति के लिए है। हमें अपने आस-पास किसी को भी भूखा नहीं रहने देना चाहिए, यही सच्ची मानवता है।


थोड़ा खाओ, लेकिन समझदारी से खाओ

पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा:

“इंसान अपने पेट से बदतर कोई बर्तन नहीं भरता। आदम के बेटे के लिए इतना ही काफी है कि वह अपनी पीठ को सहारा देने वाला खाना खा ले। अगर यह मुमकिन न हो, तो एक तिहाई खाने के लिए, एक तिहाई पीने के लिए और एक तिहाई अपनी सांस के लिए।”

(हदीस – तिर्मिज़ी, हदीस संख्या 2380)

आजकल डॉक्टर भी कहते हैं कि ज़्यादा खाना शरीर के लिए हानिकारक हैइस्लाम सदियों से संतुलित आहार और सीमित भोजन की शिक्षा देता रहा है


Allah Kuchh Logoko Jyada Deta Hai


भोजन के समान वितरण का संदेश

कुरान में अल्लाह (ईश्वर) फ़रमाते हैं:

“अल्लाह ने कुछ लोगों को ज़्यादा दिया है, ताकि वे ज़रूरतमंदों के साथ बाँट सकें।”

(कुरान 16:71)

अर्थात जिनके पास भोजन, धन, संपत्ति है उनकी ज़िम्मेदारी है कि वे उसे समाज के गरीबों तक पहुँचाएँ। इस्लाम में ज़कात (दान) और सदक़ा (स्वेच्छा से दिया गया दान) एक ही उद्देश्य के लिए हैं गरीबों को खाना खिलाना, ताकि कोई भूखा न सोए।


इस्लाम और सामाजिक न्याय

पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया:

“सबसे अच्छे लोग वे हैं जो दूसरों को खाना खिलाते हैं और उन्हें सुरक्षा प्रदान करते हैं।”

(हदीस – मुस्लिम, हदीस संख्या 48)

इस हदीस का अर्थ है भोजन देना केवल दान नहीं है, बल्कि मानवता का कर्तव्य है।आज के समाज में, अगर हम में से हर कोई अपने आस-पास के ज़रूरतमंद लोगों को थोड़ा-थोड़ा खाना दे, तो भूख की विपत्ति बहुत कम हो जाएगी।


भूखों को खाना खिलाना जन्नत का रास्ता है

कुरान कहता है:

“जो लोग गरीबों, अनाथों और कैदियों को खाना खिलाते हैं, और कहते हैं, ‘हम यह सिर्फ़ अल्लाह के लिए करते हैं।’”

(कुरान 76:8-9)

अर्थात, बिना किसी प्रसिद्धि की उम्मीद के, सिर्फ़ मानवता के लिए भोजन बाँटना, एक इबादत है


Khao Pio Barbad Mat Karo


भोजन की बर्बादी - एक नैतिक पाप

आजकल, कई जगहों पर शादियों और समारोहों में टनों भोजन बर्बाद किया जाता है। इस्लाम में इस कृत्य को हराम (निषिद्ध) माना जाता है। कुरान स्पष्ट रूप से कहता है:

“खाओ-पीओ, लेकिन बर्बादी मत करो।”

(कुरान 7:31)

आज, संयुक्त राष्ट्र (UN) भी कहता है कि “खाद्य अपशिष्ट सबसे बड़े नैतिक और पर्यावरणीय मुद्दों में से एक है।” इस्लाम ने हज़ारों साल पहले यह कहा था।


भोजन के प्रति सम्मान और कृतज्ञता

पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) कहा करते थे:

“भोजन की आलोचना मत करो। अगर तुम्हें यह पसंद नहीं है, तो इसे छोड़ दो।”

(हदीस – सहीह मुस्लिम, हदीस संख्या 2064)

यह शिक्षा संवेदनशीलता और कृतज्ञता के बारे में है। हमारे पास भोजन होना एक महान आशीर्वाद है। भोजन का अपमान करना दाता का अपमान करना है और अल्लाह दाता है।


Allah ne Har Chiz Pani se Banai


भोजन के साथ पानी का महत्व

कुरान कहता है:

“हमने हर जीवित चीज़ को पानी से बनाया है।”

(कुरान 21:30)

पानी भोजन जितना ही कीमती है। इस्लाम में पानी की बर्बादी भी वर्जित है। पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया:

“अगर तुम नदी के किनारे भी हो, तो पानी बर्बाद मत करो।”

(हदीस – इब्न माजा, हदीस संख्या 425)

आज पानी की कमी को देखते हुए यह शिक्षा कितनी ज़रूरी और ज़रूरी है!


विश्व खाद्य दिवस और इस्लाम का संदेश

विश्व खाद्य दिवस हमें याद दिलाता है कि भोजन सबका अधिकार है, लेकिन इसका सेवन ज़िम्मेदारी से किया जाना चाहिए। इस्लाम कहता है, 

“भूख मानवता की परीक्षा है, और जो भूखे को खाना खिलाते हैं, वे ईश्वर के प्रिय हैं।”

अगर हम इस दिन को सिर्फ़ मनाने के बजाय, भोजन उपलब्ध कराने, बर्बादी रोकने और उसे वितरित करने का संकल्प लें, तो यह दिन सचमुच एक “इबादत का दिन” होगा।


Jyada Faydemand


अंतिम संदेश

इस्लाम कहता है भोजन धर्म, जाति और पंथ से परे एक विषय है। यह मानवता का विषय है। पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा:

“तुममें सबसे अच्छा वह है जो लोगों के लिए सबसे ज़्यादा फ़ायदेमंद हो।”

(हदीस – दरक़ुतानी, हसन हदीस)

अर्थात्, जो समाज का पोषण करता है, मदद करता है और शांति लाता है वही सच्चा धार्मिक और मानवतावादी है।


निष्कर्ष

16 अक्टूबर सिर्फ़ “खाद्य दिवस” नहीं है, बल्कि हमारे दिलों में मानवता का दिन है। अगर हम में से हर कोई अपनी थाली में थोड़ा-थोड़ा खाना बाँटे, तो दुनिया में भूख और दुख बहुत कम हो जाएँगे।

“खाना बाँटें – एक ज़िंदगी बचाएँ।”

यही इस्लाम और मानवता का सच्चा आदर्श वाक्य है।


संदर्भ

Qur’an 7:31

Qur’an 16:71

Qur’an 76:8-9

Qur’an 21:30

Sahih Bukhari 6016

Sahih Muslim 2064

Tirmidhi 2380

Ibn Majah 425

Darqutni (Hasan Hadith)


आपकी समझ को गहरा करने के लिए सुझाई गई पुस्तकें

यहाँ कुछ प्रामाणिक और प्रेरक पुस्तकें दी गई हैं जिन्हें आप मुफ़्त में पढ़ सकते हैं (पीडीएफ़ प्रारूप में):

पैगम्बर मुहम्मद स. और भारतीय धर्मग्रंथ   डाऊनलोड pdf

ईश्दूत की धारणा विभिन्न धर्मोमे  डाऊनलोड pdf

जगत-गुरु   डाऊनलोड pdf


प्रत्येक पुस्तक इस्लाम और पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) की एक नई झलक प्रदान करती है।


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