हिजाब - इज़्ज़त भी, सुरक्षा भी और पहचान भी | Hijab Pride of Woman
भारत विविध संस्कृतियों का देश है। यहाँ अलग रंग, अलग वस्त्र, अलग धर्म, अलग रीति-रिवाज सब एक साथ रहते हैं। इन्हीं विविधताओं में से एक है मुस्लिम महिलाओं का हिजाब है।
आजकल मीडिया, राजनीति, सोशल मीडिया के कारण हिजाब को लेकर बहुत गलतफहमियाँ फैलाई जाती हैं,
- कि हिजाब महिलाओं पर ज़ुल्म है
- कि उन्हें कैद किया जाता है
- कि मुस्लिम पुरुष मजबूर करते हैं
- कि हिजाब पिछड़ेपन की निशानी है
लेकिन क्या यह सच है?
इस लेख में हम इस की सच्चाई को समझेंगे।
- हिजाब क्या है
- इसकी धार्मिक जड़ें क्या हैं
- क्या केवल इस्लाम में ही यह पाया जाता है
- हिजाब महिला के लिए क्यों ज़रूरी है
- समाज महिलाओं को हिजाब के नाम पर कैसे धोखा देता है
- हिजाब वाली महिला का सम्मान क्यों करें
हिजाब क्या है?
सबसे सरल शब्दों में,
❝हिजाब मतलब औरत की शारीरिक सुन्दरता को ढककर रखना।❞
यानी वह कपड़ा जो उसके शरीर, बाल, चेहरा या शरीर की बनावट को गैर-मह्रम (पराये पुरुषों) की निगाह से बचाए। हिजाब सिर्फ कपड़ा नहीं, यह एक व्यवहार भी है।
- नज़र नीची रखना
- आवाज़ में नर्मी रखना
- शर्म-हया के साथ रहना
कुरआन कहता है:
“ईमान वाली औरतें अपनी नज़रें नीची रखें और अपनी शर्मगाहों की रक्षा करें…”
सूरह नूर 24:31
यानी हिजाब शरीर, नज़र और आचरण तीनों का होता है।
क्या हिजाब केवल मुस्लिम महिलाओं के लिए है?
नहीं।
अगर हम भारतीय धर्मों व परम्पराओं को देखें, तो हर धर्म में किसी न किसी रूप में हिजाब मौजूद है।
➤ हिन्दू धर्म में
- शादीशुदा स्त्रियाँ पल्ला रखती हैं
- गाँव-कस्बों में महिलाएँ पराये पुरुषों से घूँघट करती हैं
- देवी-देवियों की चित्रकारी में भी शालीन वस्त्र हैं
भारत में 1000 वर्षों से यह परम्परा है।
➤ इसाई धर्म में
- नन (Church Sisters) सिर ढकती हैं
- मरयम (Mary) की हर तस्वीर में घूंघट/दुपट्टा है
➤ सिख धर्म में
- महिलाओं और पुरुष दोनों को सिर ढककर बैठना पड़ता है
यानी हिजाब सिर्फ इस्लाम की चीज़ नहीं है, बल्कि सभी सभ्य समाजों में पवित्रता व शालीनता का प्रतीक रहा है।
इस्लाम में हिजाब का हुक्म क्यों दिया गया?
इस्लाम हिजाब को तीन कारणों से आदेश देता है,
1. महिला की सुरक्षा
सोचिए, जब किसी चीज़ को परदे में रखा जाता है, तो वह चोरी, गंदी नजर और गलत इस्तेमाल से सुरक्षित रहती है।
जैसे:
- हीरे तिजोरी में रखे जाते हैं
- मोबाइल में पासवर्ड लगाया जाता है
- कार में लॉक लगाया जाता है
क्यों?
क्योंकि वे क़ीमती हैं। इसी तरह औरत अल्लाह (ईश्वर) के यहाँ बहुत क़ीमती है।
2. समाज को जनावरों वाली नज़र से रोकना
आज टीवी, सोशल मीडिया, विज्ञापन हर जगह स्त्री को आकर्षण की वस्तु बनाकर प्रदर्शित किया जाता है।
इस्लाम कहता है:
किसी महिला पर गंदी नजर डालना पाप है। और हिजाब इस बुराई को रोकने में मदद करता है।
3. महिला की इज़्ज़त और मर्यादा
हिजाब यह बताता है:
➝ यह औरत शोपीस नहीं है
➝ यह सिर्फ दिखावे की चीज़ नहीं
➝ इसे सम्मान चाहिए
हिजाब ज़ुल्म नहीं बल्कि आज़ादी है
कुछ लोग कहते हैं:
“महिला जो चाहे पहनने के लिए स्वतंत्र है।”
तो फिर क्या वह यह स्वतंत्रता नहीं रखती,
"मैं हिजाब पहनना चाहती हूँ"?
आज विडंबना यह है कि कुछ जगह हिजाब पहनना ही अपराध बना दिया गया।
सवाल यह है:
यदि बिकिनी पहनना स्वतंत्रता है, तो हिजाब पहनना बंदिश क्यों?
इसे ही डबल स्टैन्डर्ड कहा जाता है।
हिजाब पहनने वाली महिला का सम्मान क्यों करें?
1. वह अपनी आस्था का पालन करती है
– जैसे कोई पंडित तिलक लगाता है
– सिख पगड़ी रखता है
– ईसाई क्रॉस पहनते हैं
2. वह शालीनता और पवित्रता अपनाती है
3. वह आकर्षण नहीं बनना चाहती
4. वह खुद को “वस्तु” की तरह प्रस्तुत नहीं करना चाहती
आज महिला को असली आज़ादी क्या है?
- सुंदर दिखना?
- सबको अच्छा लगना?
- ट्रेंड फॉलो करना?
या फिर अपनी इच्छा से जीना?
हिजाब वाली महिला कहती है,
“मैं अपनी पसंद से अपना शरीर ढक रही हूँ। मुझे सम्मान चाहिए।”
आधुनिक समाज कैसे महिलाओं को धोखे में रखता है?
आज की इंडस्ट्री
- फ़िल्म
- फैशन
- विज्ञापन
- सोशल मीडिया
महिला को “उत्पाद” की तरह इस्तेमाल करती है।
कपड़ों के बहाने
सुन्दरता के नाम पर
आज़ादी के नाम पर
उससे पैसे कमाए जाते हैं।
महिला स्वतंत्रता के नाम पर असल में कंपनियों की “मार्केट वैल्यू” बढ़ाई जाती है।
हिजाब पहनने वाली महिला यह कहती है,
“मैं तुम्हारे बाजार का सामान नहीं। मैं अपनी पहचान की मालिक हूँ।”
क्या हिजाब सिर्फ सिर ढकने का नाम है?
नहीं।
हिजाब के तीन स्तर हैं:
1. शरीर का हिजाब
अवयवों को ढंकना
2. नज़र का हिजाब
गंदी नजर से बचना
3. दिल और व्यवहार का हिजाब
विनम्रता और शर्म रखना
यही असली धार्मिक परदा है।
हिजाब भारत की संस्कृति के खिलाफ नहीं
भारत सदियों से मर्यादा की भूमि है।
“हमारी भारतीय परंपरा और धर्म-शास्त्रों में भी स्त्री-सुरक्षा और वस्त्र-मर्यादा को सम्मानित माना गया।
जैसे रामायण में सीता माता की मर्यादा का वर्णन मिलता है और महाभारत में द्रौपदी ने सभा में वस्त्र-सुरक्षा के लिए ईश्वर से सहायता माँगी।
इसी तरह इस्लाम में हिजाब स्त्री की सुरक्षा और सम्मान का प्रतीक है।”
भारतीय स्त्री का आदर्श “मर्यादा” है ना कि “प्रदर्शन”।
इसलिए मुस्लिम बहन जब हिजाब पहनती है, वह भारतीय संस्कारों से विरोध नहीं करती बल्कि उनपर अमल ही करती है।
हिजाब और स्त्री की गरिमा
हिजाब पहनने वाली स्त्री कहती है,
- मैं अपने चेहरे से नहीं,
- मैं अपने शरीर से नहीं,
- मैं अपने कपड़ों से नहीं,
- मैं अपनी सोच और कर्म से पहचान चाहती हूँ।
यही तो स्त्री-आत्मसम्मान है।
हिजाब इज़्ज़त और सुरक्षा है
हिजाब,
- गुलामी नहीं
- पर्दा नहीं
- कैद नहीं
- पिछड़ापन नहीं
बल्कि यह है,
- इज़्ज़त
- सुरक्षा
- पहचान
- स्वतंत्रता
- सम्मान
- मर्यादा
- अल्लाह (ईश्वर) का आदेश
अंतिम दिल छू लेने वाला संदेश
मेरे हिन्दू, सिख, ईसाई और मुस्लिम भाइयों-बहनों,
किसी हिजाब वाली लड़की को देखकर पहले उसके कपड़ों से मत परखिए।
उससे इंसान की तरह मिलिए। "उसके चुनाव का सम्मान कीजिए"।
क्योंकि हिजाब सिर्फ कपड़ा नहीं,
एक बहन की इज़्ज़त, आस्था, पहचान और हया है।
वह अपने व्यवहार से यह कहती है कि,
“मैं दुनिया की नजरों के लिए नहीं, मैं अपने रब, अपने ईश्वर के लिए जीती हूँ।”
आपकी समझ को गहरा करने के लिए सुझाई गई पुस्तकें
यहाँ कुछ प्रामाणिक और प्रेरक पुस्तकें दी गई हैं जिन्हें आप मुफ़्त में पढ़ सकते हैं (पीडीएफ़ प्रारूप में):
पैगम्बर मुहम्मद स. और भारतीय धर्मग्रंथ डाऊनलोड pdf
ईश्दूत की धारणा विभिन्न धर्मोमे डाऊनलोड pdf
जगत-गुरु डाऊनलोड pdf
पवित्र कुरआन हिंदी अनुवाद डाऊनलोड pdf








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