क्यों गैर-मुस्लिम भी पैगंबर मुहम्मद (स.) की प्रशंसा करते हैं
पैगंबर मुहम्मद (स.) का नाम सुनते ही दुनिया भर के करोड़ों दिलों में सम्मान जाग उठता है। यह सम्मान सिर्फ मुसलमानों तक सीमित नहीं। गैर-मुस्लिम विद्वान, लेखक, और इतिहासकार भी उनके चरित्र से प्रभावित हुए हैं क्यों?
क्योंकि उन्होंने जो सिखाया — वह सिर्फ एक धर्म की नहीं, पूरी मानवता की भलाई के लिए था। उनका जीवन न्याय, दया, सच्चाई और समानता की जीवंत मिसाल है।
सरल जीवन, गहरी सोच
पैगंबर मुहम्मद (स.) ने कभी राजमहल में अपनी जिंदगी नहीं गुजारी। उन्होंने साधारण कपड़े पहने, सादा खाना खाया, और ज़रूरतमंदों की सेवा की।
कवी उनके जीवनका इन शब्दों में वर्णन करता है,
खजूरों के छप्पर के हुजरे का बासी,
चटाई पे रातें बसर करने वाला।
वो इक रहमत-ए-दो जहाँ और फिर भी,
सदा नान-ए-जौ पे गुजर करने वाला।
भावार्थ:
यह कविता बताती है कि हज़रत मुहम्मद (स.), जो समस्त ब्रह्मांड के लिए रहमत हैं, उन्होंने खजूर की झोंपड़ी में रहकर, चटाई पर सोकर, और जौ की रोटी खाकर अत्यंत सादा और विनम्र जीवन जिया।
अल्लाह (ईश्वर) के गुनाहगार बंदों को सही मार्ग मिले और दुनिया में अमन फैले इस मकसद के लिए उनकी सारी मेहनत और त्याग था।
महात्मा गांधी ने कहा था:
“मैंने पैगंबर मुहम्मद (स.) के जीवन का अध्ययन किया। वह न तो शक्ति के लिए लड़े, न धन के लिए। उनका जीवन सत्य और विनम्रता का प्रतीक था।”
गांधीजी जैसे सत्य के खोजी व्यक्ति का यह स्वीकार बताता है कि पैगंबर (स.) की महानता सीमाओं से परे है।
कुंवर मोहिंदर सिंह बेदी सहर भारत के एक मशहूर कवि और नौकरशाह (Civil Servant) है। इन्होने पैगंबर मुहम्मद की प्रशंसा में एक कविता लिखी है, उस प्रसिद्ध कविता में उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया गया कि पैगंबर मुहम्मद (स.) के प्रति प्रेम सिर्फ़ मुसलमानों तक सीमित नहीं है। उन्होंने ये बताया है कि उनके चरित्र की प्रशंसा धर्म की सीमाओं से परे है।
"इश्क हो जाए किसी से कोई चारा तो नहीं, सिर्फ़ मुसलमान का मुहम्मद पे इज़ारा तो नहीं" यह इस कविता की प्रमुख पंक्तियाँ हैं। जिसका अर्थ है, "अगर कोई प्यार में पड़ जाता है, तो कोई चारा नहीं होता - और मुहम्मद (स.) के प्रति प्रेम सिर्फ़ मुसलमानों का एकाधिकार नहीं है।"
समानता और न्याय का संदेश
सातवीं सदी में जब समाज जाति, रंग और नस्ल में बँटा था, पैगंबर मुहम्मद (स.) ने कहा —
“किसी अरब को गैर-अरब पर, किसी गोरे को काले पर कोई श्रेष्ठता नहीं, सिवाय उनके जो नेक कर्म करते हैं।”
(हदीस: मुसनद अहमद)
यह संदेश आज के दौर में भी उतना ही ज़रूरी है जितना तब था। उन्होंने इंसानों को बताया कि असली पहचान कर्म और चरित्र है, जाति या रंग नहीं।
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ, मशहूर आयरिश लेखक ने कहा था:
“अगर कोई व्यक्ति इस दुनिया का मालिक बन सकता है, तो वह मुहम्मद (स.) होंगे। क्योंकि उन्होंने दिलों को जीता, तलवार से नहीं, प्रेम से।”
गैर-मुस्लिम विचारकों की आवाज़
1. थॉमस कार्लाइल (Scottish philosopher)
“मुहम्मद (स.) एक झूठे नबी नहीं थे। वे ईमानदार, सच्चे और प्रेरित व्यक्ति थे।”
(Heroes and Hero Worship, 1840)
कार्लाइल का यह कथन इस बात का प्रमाण है कि पैगंबर (स.) के विरोधी भी उनकी सच्चाई को झुठला नहीं सके।
2. माइकल एच. हार्ट (American historian)
अपनी प्रसिद्ध किताब “The 100: A Ranking of the Most Influential Persons in History” में उन्होंने लिखा —
“मैंने इतिहास के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में मुहम्मद (स.) को रखा है। क्योंकि उन्होंने धार्मिक और सांसारिक, दोनों क्षेत्रों में अद्भुत सफलता पाई।”
हार्ट जैसे इतिहासकार ने यह रैंक किसी धार्मिक भाव से नहीं, बल्कि वस्तुनिष्ठ विश्लेषण के आधार पर दी।
3. अनी बेसेंट (Indian theosophist and reformer)
“यह असंभव है कि कोई व्यक्ति मुहम्मद (स.) के जीवन को पढ़े और उनसे प्रेम न करे।”
(The Life and Teachings of Muhammad, 1932)
अनी बेसेंट ने बताया कि पैगंबर (स.) का जीवन सादगी और सेवा का ऐसा उदाहरण है, जो हर इंसान को प्रेरित करता है — चाहे उसका धर्म कुछ भी हो।
4. लेमैन थॉमस (American author)
“मुहम्मद (स.) की शिक्षाएँ सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं थीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए थीं जो सच्चाई से प्रेम करता है।”
यह विचार दर्शाता है कि पैगंबर (स.) की सोच मानवता-केंद्रित थी, धर्म-केंद्रित नहीं।
करुणा और दया का संदेश
पैगंबर (स.) ने कहा —
“सबसे अच्छे लोग वे हैं जो दूसरों के लिए सबसे ज़्यादा लाभकारी हैं।”
(हदीस: दराकुतनी)
उनकी दया सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं थी। उन्होंने पशुओं पर अत्याचार से रोका, पेड़ों की रक्षा का आदेश दिया, और हर प्राणी के साथ करुणा का व्यवहार सिखाया।
प्रो. रामकृष्ण राव (Indian scholar) ने लिखा:
“मुहम्मद (स.) एक ऐसा इंसान थे जिसने लोगों को मानवता का सच्चा अर्थ सिखाया।”
क्षमा की मिसाल
जब मक्का के लोग, जिन्होंने उन्हें वर्षों तक सताया, उनके सामने पराजित होकर खड़े थे, तो उन्होंने कहा —
“आज कोई बदला नहीं। तुम सब आज़ाद हो।”
(हदीस: इब्न हिशाम)
यह शब्द इतिहास में हमेशा गूंजते रहेंगे। क्योंकि ऐसी क्षमा केवल एक महान आत्मा ही दे सकती है।
नेपोलियन बोनापार्ट ने कहा था:
“मुहम्मद (स.) ने अपने दुश्मनों को जीत लिया, लेकिन तलवार से नहीं, बल्कि दिलों से।”
शांति और भाईचारे का दृष्टिकोण
पैगंबर (स.) ने कहा —
“मुसलमान वह है, जिसकी जुबान और हाथ से कोई नुकसान न पहुँचे।”
(हदीस: बुखारी)
यह शिक्षा बताती है कि सच्चा विश्वास वही है, जो समाज में शांति फैलाए, भय नहीं।
महात्मा गांधी ने एक और जगह लिखा:
“अगर इस्लाम को मुहम्मद (स.) जैसा नेतृत्व आज मिल जाए, तो दुनिया की कई समस्याएँ खत्म हो सकती हैं।”
शिक्षा और ज्ञान का महत्व
पैगंबर (स.) ने कहा —
“ज्ञान हासिल करना हर पुरुष और महिला पर अनिवार्य है।”
(हदीस: इब्न माजह)
उन्होंने ज्ञान को बंद दरवाज़ों में नहीं, खुले समाज में फैलाने की बात की। यही कारण है कि इस्लामी सभ्यता ने विज्ञान, गणित, चिकित्सा और दर्शन में दुनिया को आगे बढ़ाया।
एल. मार्टिन (Western historian) ने लिखा:
“मुहम्मद (स.) ने शिक्षा को ऐसा मूल्य बनाया, जिसने पूरे मानव इतिहास की दिशा बदल दी।”
महिलाओं का सम्मान
उस दौर में जब औरतों को अधिकार नहीं दिए जाते थे, पैगंबर (स.) ने कहा —
“स्वर्ग तुम्हारी माँ के कदमों के नीचे है।”
(हदीस: निसाई)
उन्होंने बेटियों को सम्मान दिया, पत्नी के अधिकार तय किए, और महिलाओं को समाज का सम्मानित हिस्सा बनाया।
एनी मेरी शिमेल (German scholar) ने कहा:
“मुहम्मद (स.) का महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण उस समय के लिए क्रांतिकारी था।”
मानवता के लिए अंतिम संदेश
उनका अंतिम खुतबा (Farewell Sermon) आज भी मानवाधिकार घोषणापत्र जैसा लगता है
“किसी की जान, संपत्ति और इज्जत तब तक सुरक्षित नहीं जब तक वह दूसरे की सुरक्षा का सम्मान न करे।”
इस संदेश में पूरी इंसानियत के लिए एक आचार संहिता है।
निष्कर्ष
पैगंबर मुहम्मद (स.) की महानता किसी धर्म-सीमा में नहीं बंधती। उन्होंने जो सिखाया, वह हर युग और हर दिल के लिए है। गैर-मुस्लिम विचारकों की राय बताती है कि उनकी शिक्षाएँ सिर्फ इस्लाम के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए वरदान हैं। पैगंबर (स.) ने जो कहा, वही आज की दुनिया को चाहिए —
शांति, न्याय, दया और एकता।
आपकी समझ को गहरा करने के लिए सुझाई गई पुस्तकें
यहाँ कुछ प्रामाणिक और प्रेरक पुस्तकें दी गई हैं जिन्हें आप मुफ़्त में पढ़ सकते हैं (पीडीएफ़ प्रारूप में):
पैगम्बर मुहम्मद स. और भारतीय धर्मग्रंथ डाऊनलोड pdf
ईश्दूत की धारणा विभिन्न धर्मोमे डाऊनलोड pdf
जगत-गुरु डाऊनलोड pdf
प्रत्येक पुस्तक पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) की करुणा, न्याय और मानवता की एक नई झलक प्रदान करती है।
Tags:
पैगंबर मुहम्मद, गैर मुस्लिम विचार, मानवता और इस्लाम, गांधी और इस्लाम, prophet muhammad quotes, michael hart prophet, islamic peace teachings, prophet muhammad biography, prophet for all humanity








Post a Comment